प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत अनेक और विविध प्रकार के हैं हम उन्हें दो श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं |
1. साहित्यिक स्त्रोत
2. पुरातात्विक
साहित्यिक स्त्रोत
ब्राह्मण साहित्य:-
वेद:- वेदों की संख्या 4 है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद
ऋग्वेद:- ऋग्वेद में 10 मंडल 1028 सूक्क्त है
* ऋग्वेद को पढ़ने वाले को होतृ कहते हैं
* ऋग्वेद में पहला और दसवां मंडल सबसे अंत में जोड़ा गया है
* ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता 'सावित्री' को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है
* 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है
यजुर्वेद:- इसमें यज्ञों के नियमों या विधानो का संकलन मिलने के कारण इसे कर्मकांडीय वेद भी कहा जाता है यह वेद गद्य और पद्य दोनों में होता है
यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाला पुरोहित 'अध्वर्यु' कहलाता है
सामवेद :- सामवेद का अर्थ गान होता है सामवेद में मुख्यतः यज्ञों के अफसरों पर गाए जाने वाले मंत्रों का संग्रह है
सामवेद के मंत्रों को गाने वाला 'उदगाता' कहलाता है
अथर्ववेद:- तीन वेदों के बाद अंत में इसकी रचना अथर्व तथा अंग्रीश ऋषि द्वारा की गई
इसमें ब्रह्म ज्ञान धर्म औषधि प्रयोग रोग निवारण जादू टोना तंत्र मंत्र आदि अनेक विषयों का वर्णन है
अथर्व वेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाला पुरोहित 'ब्रह्म ' कहलाता है
नोट: इन चारों वेदों को संहिता कहां जाता है
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
1. सबसे प्राचीनतम वेद किसे माना गया है
-ऋग्वेद
2. ऋग्वेद में कुल कितने मंडल हैं
- 10 मंडल
3. प्रसिद्ध गायत्री मंत्र किसे समर्पित है
- सूर्य देवता सावितृ को
4. देवदास ओम का उल्लेख कौन से मंडल में किया गया है
- 9 वें मंडल में
5. ऋग्वेद को पढ़ने वाले को क्या कहते हैं
- होतृ
6. वह कौन सा वर्ड है जो गद और पद दोनों में पाया जाता है
- यजुर्वेद
7. यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाला पुरोहित क्या कहलाता है
- अध्वर्यु
8. सामवेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाले को क्या कहते हैं
- उद्गाता
9. सबसे अंत का वेद कौन सा है
- अथर्ववेद
10. अथर्व वेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाले पुरोहित को क्या कहते हैं
- ब्रह्म